वास्तु पंचतत्व जल , अग्नि , वायु , पृथ्वी , आकाश और इस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिससे इंसान की दशा और दिशा को परिर्वतन करने की शक्ति क्षमता होती है । किसी भी भूमि में भवन निर्माण से पूर्व वास्तु पुरूष की मुख्य भूमिका होती है ।
वास्तु में राजा को रंक और रंक से राजा बनाने की अदभुत क्षमता शक्ति होती है । मनुष्य के जीवन में ग्रहों की भूमिका होती है और गृह हमेशा परिवर्तनशील रहते है मगर वास्तु हमेशा स्थाई व ठोस रहता है ।
फ्लेट न. 37 , पंचलोक क़ॉम्प्लेक्स , तीसरा माला , ज्ञानभाग
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