वास्तु पुरुष की उत्पति जगत पिता ब्रहमा की देन है और इसमें शिव की शक्ति है । आम मनुष्य के जीवन में वास्तु का बहुत ही बड़ा महत्व है . इसके बिना इंसान अपरिपूर्ण है । वास्तु में राजा को रंक और रंक से राजा बनाने की अदभुत क्षमता शक्ति होती है । मनुष्य के जीवन में ग्रहों की भूमिका होती है और गृह हमेशा परिवर्तनशील रहते है मगर वास्तु हमेशा स्थाई व ठोस रहता है । वास्तु पंचतत्व जल , अग्नि , वायु , पृथ्वी , आकाश और दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिसमे इंसान की दशा और दिशा को परिर्वतन करने की शक्ति क्षमता होती है । किसी भी भूमि में भवन निर्माण से पूर्व वास्तु पुरूष की मुख्य भूमिका होती है । वास्तु अनुसार भूमि में निर्माण वास्तु निर्मित भवन में इंसान पीढ़ी दर पीढी सुख सम्पति आनन्द पूर्वक जीवन सुख शान्ति संतोष व धन वैभव , ऐश्वर्य पुर्वक निवास करता है उसके लिये धरती का स्वर्ग यही है मगर वास्तु के विपरीत भवन में मनुष्य जीवन पर्यन्त दुःखी , संघर्षरत , नाना प्रकार के कष्टो बिमारी , वैमनस्यता , बेरोजगारी , मुकदमाबाजी , पारिवारिक कलह से सामना करता हुआ मृत्यु तुल्य जीवन जीता है यही कटु सत्य है प्रमाणित सत्य है । वास्तु का नकारात्मक प्रभाव शनैः शनैः तबाही बर्बादी और अकाल मृत्यु की और ले जाता है मगर वास्तु का सकारात्मक प्रभाव तत्काल 24 घंटे में देना शुरू कर देता है यह कटु सत्य और प्रमाणित अनुभव कि इसान के माग्य , नाम , यश , वैभव , ऐश्वर्य व सत्य की आधार तत्काल शक्ति देता है । मेरे जीवन में 37 वर्षों के वास्तु शोध प्रमाणित प्रमाण और प्रयोग द्वारा सिद्ध “अनुभव” से यह प्रमाणित है कि सृष्टी में मनुष्य आम इंसान का भूमि पर वास्तु अनुरूप भवन, निवास, बिना जीवन ही अधूरा है ।